भ्रूण
भ्रूण
मैला सा एक थैला,
छोड़ गई एक नार।
कुत्तों की खींचातानी का,
न सह सका वह भार।
फटा और फटने के साथ ही,
थम गई साँसे नवजात की।
दो काग तरुवर से देखे,
व्यंग्य में शब्द बाण वे फेंके,
पढ़ा लिखा अनपढ़ है मानव।
बुद्धि से देव पर कर्म से दानव,
जो दुत्कारा जाए वर्ण से।
मीठी न हो जिसकी वाणी
उसकी भी सोच हो सकती है दूर की,
यह जग क्या जाने अभिमानी।