स्वर्गयात्रा...
स्वर्गयात्रा...
आम आदमी की यही कहानी,
मंहगाई उसे झकझोरेगी,
हर कार्यालय वह मृगतृषणा में भटकेगा।
पहुंचते-पहुंचते चपलें घिस जाऐंगी,
फफोले लिए वह चलता रहेगा,
रक्त धब्बों से,
रोड भी प्यास बुझाएगी।
उसकी अंतः चेतना थक हारकर,
आखिरी सांस की गुहार लगाएगी।
अंतिम सांस लेता,
जब वह पानी मांगेगा,
पुण्य की भागीदारी होने को,
दुनिया कतार लगाएगी।
कौन पानी देगा?
इसी उलझन में,
आखिरी सांस छूट जाएगी।
दुनिया जब नाम तय कर लेगी,
उसकी स्वर्गयात्रा देखती रह जाएगी।
