STORYMIRROR

Rohit Sharma (Joker)

Romance

4  

Rohit Sharma (Joker)

Romance

काव्य कल्पना

काव्य कल्पना

1 min
371

चलो एक और कृति,

उस अवर्णनीय सुन्दरता को समर्पित कर दूं।

जो शब्दों में न कह पाया,

उसे अक्षरों में उसे अर्पित कर दूं।

सुन्दरतम तुम्हारा मुखारविंद,

दुबला - पतला तन,

मोहिनी इस सूरत पर,

मोहित मेरा मन।

सुन्दरता की नश्वरता,

तुम्हारा वहम मात्र है।

अपने काव्य में इसे समाहित कर,

तुम्हारे इस भ्रम को आज दूर कर दूं।

चलो एक और कृति,

उस अवर्णनीय सुन्दरता को समर्पित कर दूं।

जो शब्दों में न कह पाया,

उसे अक्षरों में उसे अर्पित कर दूं।


जिसने भी कहा है, सही कहा है।

कि प्रेम है एक मर्ज़,

प्रेमी होने के नाते यही मेरा फर्ज़।

इस कदर डूब जाऊँ तुम्हारे प्रेम में,

कि खुद को इस मर्ज़ से संक्रमित कर दूं।

चलो एक और कृति,

उस अवर्णनीय सुन्दरता को समर्पित कर दूं।

जो शब्दों में न कह पाया,

उसे अक्षरों में उसे अर्पित कर दूं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance