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Priyanka Saxena

Horror

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Priyanka Saxena

Horror

एक रात ने ली अंगड़ाई है

एक रात ने ली अंगड़ाई है

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फिर एक रात ने ली अंगड़ाई है,

चांद बादलों में कहीं जाकर छुप गया।

मद्धम मद्धम रोशनी में उड़ने लगी,

शोर मचाती आसमानी आफतें।

पक्षी भी उस पल जग गए,

चीख चीखकर चीत्कार उठे।

वृक्षों की छाया बढ़ने लगीं,

परछाइयां क्षण-क्षण डराने लगीं।

तब उस पल कब्रिस्तान जग उठा,

अपने पूरे यौवन के साथ।

पीली रोशनी जल उठी,

इमारत की बंद खिड़कियों से।

उस पल‌ सर्वत्र राज हुआ,

शैतानों का, चुड़ैलों का।

दुनिया को सराबोर कर गया,

बुरी आत्माओं खास साया।

जिंदगी मानो ठहर गई,

जीवन पर फिर बन आई।

गहरी काली रात ने दिखलाया,

एक बार फिर अपना जहरीला जादू।



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