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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Horror Tragedy Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Horror Tragedy Inspirational

जयद्रथ वध

जयद्रथ वध

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टूटती उम्मीदों में उम्मीद की

काव्य कथा सुनाता हूँ पुत्र

शोक प्रतिज्ञा जयद्रथ पिता

पुत्र का नियत मोक्ष सुनाता

हूँ।।


अभिमन्यू युवा पुत्र के

कुरुक्षेत्र के कपट क्रूर काल से

आहत युग ब्रह्मांड महारथी श्रेठ

धनुर्धर ।।


किया प्रतिज्ञा सूर्यास्त तक

जयद्रथ को मारूँगा युद्ध

भूमि में या चिता स्वयं की 

सजा भस्म हो जाऊंगा घायल

अन्तर्मन।।


महानिशा का अंधकार की

 प्रतीक्षा देखेगा महारथी

का महासमर सूरज भी अस्त

हुआ था उदय उदित होगा

फिर लेकर भीषण महासमर।।


सूरज निकला मधुसूदन का

शंखनाद परम् प्रतिज्ञा का

नव संग्राम महासमर।।

युद्ध शुरू हो गया गिरते 

मुंड बहने लगा रुधिर समंदर

ज्वाला से चलते अस्त्र शत्र काल

स्वयं खड़ा देख रहा था महासमर।।


कमलविह्यू की रचना के मध्य 

खड़ा जयद्रथ कंप रहा था थर थर

पार्थ आज कुरुक्षेत्र में काल साक्षात

महा काल का रूप प्रत्यक्ष।।


केशव ने देखा असम्भव है

वध जयद्रथ का पार्थ करले

चाहे लाख जतन नारायनः

ने चक्र सुदर्शन को दिया

आदेश।।


ढक लो सूरज को आदेश

सुदर्शनधारी का पाते ही

सूरज को ढक लिया सुदर्शन

अंधेरा छा गया हा हाकार मचा

पांडव दल में छा गए निराशा

का बादल।।


महारथी अर्जुन अब रण में

स्वयं चिरनिद्रा को गले लगाएगा

प्रतिज्ञा की चिता अग्नि में भस्म

स्वयं हो जाएगा।।


कौरव दल में उत्साह हर्ष

विजय पांडव अब ना पायेगा

चलो देखते है अर्जुन खुद ही

कैसे भस्म हो जाएगा।।


अर्जुन की जब चिता पर

चिरनिद्रा के लिए प्रस्थान

किया कहा मधुसूदन ने

सुदर्शन आज तुमने क्या काम

किया।।


अब आओ लौटकर मेरे पास

अंधेरा अब फिर छटने दो

ज्यो लौटा मधुसूदन का सुदर्शन

सूरज निकला कहा नारायणन ने

पार्थ अब ना देर करो।।


पूर्ण करो प्रतिज्ञा जयद्रथ खड़ा

सामने टूटते उम्मीदों की उम्मीद

का सत्कार करो कायर नही 

कहेगा युग के टुटते ऊम्मीदों की

उम्मीद में धर्म युद्ध टंकार करो।।


मारो ऐसा वाण शीश कटे जयद्रथ

का पिता गोद मे गिरे पिता पुत्र दोनों

को युग से मोक्ष प्रदान करो।।

मधुसूदन के आदेश मिला 

गूंजी गांडीव प्रत्यंचा कौरव दल

में हा हाकार मचा कटा शीश जयद्रथ


का धड़ कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में

शीश पिता गोद मे चक्रधारी की

महिमा से अर्जुन ने पिता पुत्र का

उद्धार किया।।

धर्म युद्ध मे टुटते उम्मीदों की उम्मीद

विजय अवसर उपलब्धियों की

युद्ध राजनीति का महासमर नीति

नियत चक्रधारी ने मार हार विजय

निर्णायक कर्म धर्म मर्म का मान किया।।


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