डरावना मंजर
डरावना मंजर
एक साया अचानक से यूं सामने से गुजरा था,
पास में बैठे इंसान ने दूसरे इंसान को यूं
दिलासा दिया था की अरे कोई नहीं,
यह इंसान या इंसान के वेश में कोई गुजरा होगा,
यह सुनने के बाद ललाट पर से पसीने की बुंदे कुछ कम सी हुई थी,
लेकिन अचानक से खून की बूंदें यूं गाड़ी
पर आ गिरी थी,
सिर्फ इस एक लम्हे में मौत आंखों के सामने से यूं गुजरी थी,
हिम्मत नहीं थी लेकिन सिर घुमाकर पास बैठे उस इंसान को देखा था,
लेकिन फिर से पास बैठे इंसान ने घबराते हुए
बहार जाकर एक बार इस डरावने मंजर को
देखने को कहा था,
कंपकंपाते पैरों के साथ हम बहार निकले थे,
और आसमां में नजर करके देखा तो
पेड़ पर एक पंछी कटे हुए पैर के साथ बैठा था।