रियल हिरो - किसान
रियल हिरो - किसान
जो बदलते मौसम को देख,
उसकी हर परिभाषा समझा देता है,
वह बेचैन चेहरे देख हर पल अकुलाता है,
जिसके पसीने से धरती तर हो जाती है,
हिंदुस्तान में आज भी वही किसान कहलाता है,
कड़ी धूप में जलकर जो फसल उगाता है,
फिर भी कही बार वह खुद ही भूखा सो जाता है,
अपने कंधों पर जो हल रखने का बल रखता है,
हिंदुस्तान में आज भी वही किसान कहलाता है,
धरा का चीर कर सीना यह नयी फसल उगाता है,
सही मायने में यही है जो देश को चलाता है,
क्योंकि बिना खाए इंसान एक लाश ही कहलाता है।