मेरा देश
मेरा देश


यह एक शहीद की जुबानी है,
यह उसकी अपने देश के प्रति प्रेम की कहानी है,
की जा रहा था सरहद पर जब में,
तब आखिरी बार सुनी थी मैंने उसकी पायल
की झनकार वो,
उसने मद्धम सी आवाज में कहा था कि,
याद रखना की तुम्हारे इंतज़ार में खड़ी है वो,
लेकिन मेरी पहली मोहब्बत मेरी देश की मिट्टी थी ना,
याद था कि वह इंतजार करते करते थक गई होगी,
लेकिन फिर भी उसने निंद से अपना मुंह यु मोड़ लिया
होगा ना,
लाल जोड़े में लिपटी वो मुझे बेहद पसंद थी,
लेकिन उसे आज मालूम हो गया कि,
उसके लाल जोड़े से ज्यादा मुझे अपने शरीर
पर लिपटे देश के तिरंगे से कितनी मोहब्बत थी।