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JAYANTA TOPADAR

Horror

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JAYANTA TOPADAR

Horror

भयभीत...

भयभीत...

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एक रात अपने बचपन में 

जब मैं नींद में था...

अचानक आधी रात को

मैं एक डरावना सपना

देखकर जाग गया...

मैं बहुत भयभीत हो चुका था !


डर और रात के अंधेरे में

मैं खुद को बिस्तर पर

बिल्कुल अकेला महसूस किया...

मेरे पसीने छूट रहे थे !

मैं अंधकार में डूब चुका था...

मुझे कोई रास्ता

नज़र नहीं आ रहा था...

ऐसा प्रतीत हो रहा था कि

शायद अब तो 'मैं गया... !!!'


लेकिन मैं अंधेरे में

अपना हाथ यहाँ-वहाँ

फेरता रहा...

बेशक़ मैं अपने पिताजी

श्री नरेंद्र कुमार तपादार जी को

ढूँढ रहा था...

मुझे यकीन था 

कि मेरे पिताजी मेरे पास

निस्संदेह सो रहे थे...

और हाँ, मेरे पिताजी का पीठ

स्पर्श कर स्वयं को

सुरक्षित महसूस किया...

मैंने उस रात 'भूत' का

सपना देखा था...


मैंने खुद को

ये एहसास दिलाया

कि जब मेरे पूज्य पिताजी

मेरे पास हैं,

तो 'क्यों बेकार में डरना'...!!!


तब हम सब ए.आर.सी, डुमडुमा (जिला : तिनसुकिया) के

न्यू कालोनी में अवस्थित

क्वार्टर नंबर : टाईप थ्री/९ में रहते थे।

वो बचपन के दिन

आज भी याद आते हैं...

वो डरावनी रात आज भी

मेरे रोंगटे खड़े कर देते हैं।



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