काली रात
काली रात
अमावस की काली रात
सुनसान गलियों में
आ रही थी कुत्तों के
भौंकने की आवाजें
नीरस वातावरण में
चमक रहे थे जुगनू
वहीं कुछ दूरी पर स्थित
शमशान में एक चुडै़ल
कर रही थी अट्टहास
जिसकी थी लाल-लाल आँखें,
बडे़-बडे़ नाखून,
पैर उल्टे, बडे़-बडे़ दाँत
काला लिबास पहने
भटक रही थी
कभी इधर, कभी उधर
बना रही डरावनी रात को
और डरावना।

