भविष्य भूतो का
भविष्य भूतो का
एक बार भूतों ने सभा बुलाई
पीपल के पेड़ पर चटाई बिछाई
सभी भूतों की थी बस एक ही गुहार
हमें इंसानों की ज्यादती से इंसाफ दिलाओ यार
इंसानों ने हमें कहीं का न छोड़ा
हमारे हर सपने को है बेरहमी से तोड़ा
पहले कर दिया हमें जाने अनजाने जिंदगी से दूर
ख्वाहिशें अधूरी पूरी होने तक जीने को मजबूर
ठीक था वो गम भी हम भूत सह लेते
भूतो की दुनियां में हम हंस कर जी लेते
लेकिन हमारे आराम मे डाला इन्होंने खलल
मरे हुए की जिन्दगी में भी देते रहते है दखल
जीते जी तो कमबख्तो ने हमे मार दिया
और मरने के बाद भी चैन से जीने नही दिया
दिन में भूतो के लिए निकलने मे है नही रजा मंदी
अंधेरे में ही है दिखने की अनुमति वरना पाबंदी
बताओ जरा ये भी भला कोई बात हुई
हम क्यों ना अपनी मर्जी से निकले दिन हो या रात
एकांत पसंद हम रहते है श्मशान और कब्रिस्तान
पेड़ो में बिहड़ो में पुराने किलो मे और उजड़े हुए स्थानों में
अब इंसान के कारण हुई हमारी शांत जिन्दगी बर्बाद
खंडर, जंगल, उजाड़ हर जगह आबाद हुआ इंसान
पेड़ काट इमारत तोड़ बसाए बस्ती शहर और गांव
भूतो के राजा से लगाई पुकार भूतो ने
राजा ने सब कुछ सुन कर कहा मसला है तो गंभीर
कहा घर के बदले घर अब दिन हो या रात
लगेगा डर इंसानों को भूतो से
भुगतनी पड़ेगी सजा इंसानों को होटल डिस्को
फ़्लैट और क्लब हो सब जगह दिखेंगे भूत
डरना होगा अब इंसान को।