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Jyoti Deshmukh

Horror

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Jyoti Deshmukh

Horror

क्या सुरक्षित है बेटियाँ

क्या सुरक्षित है बेटियाँ

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डरावना 

कलियों को खिल जाने दो मीठी खुशबू फैलने दो 

बंद करो उनकी हत्या अब जीवन ज्योत जलाने दो 

इस जग में क्यों डरती बेटियाँ 


कोख में क्यों डर डर के मारी जाती बेटियाँ 

कालिया जो तोड़ी तुमने फूल कहां से लाओ तुम 

बेटी की हत्या कर तुम बहू कहां से लाओ तुम 

ईश्वर ये तेरा कैसा संसार हो गया 


देवी मान पूजते थे जो वह ज़माना कहां खो गया 

अब चील की नजरों से देखते हैं सब 

यह असहाय चिड़िया सी क्यों रहती बेटियाँ 

माँ धरती पर आने दो उनको कभी लहराने दो 

बंद कर उनकी हत्या अब जीवन ज्योत जलाने दो 


अखिर दुनिया में आने से पहले ही

मजबूरन क्यों मरावी जाती है बेटियाँ 

बचपन, किशोर, जवानी रोते हुए क्यों बिताती है बेटियाँ 

विदाई पर सबको रुलाती है बेटियाँ 

शादी केबाद दहेज के नाम पर क्यों सताई जाती बेटियाँ 

दुपट्टे को गले में पंखे से क्यों लटका दी जाती है बेटियाँ 

ट्रेन के आगे जा, कभी पहाड़ से कूद 

क्यों मजबूरी में खुदकुशी करती बेटियाँ 


आग में जिंदा क्यों जलाई जाती बेटियाँ 

आखिर कबतक मारी जाती रहेगी बेटियाँ 

माँ दुर्गा की पूजा कर भक्त बड़े कहलाते हो

कहां गई वो भक्ति जो बेटी को मार गिराते हो 

लक्ष्मी को जीवन पाने दो घर दमक ने दो 

बंद करो उनकी हत्या अब जीवन ज्योत जलने दो 


विकसित देश ने सिखाया

अहिंसा का रास्ता वहां बेकार कत्लेआम होने लगा 

डोली में बैठ जिसका घर स्वर्ग बनाया 

रिश्तों की हत्या का किस्सा आम होने लगा 


देवी पूजते देश में आज सुरक्षित नहीं बेटियाँ 

दुष्कर्मों से मेरा देश बदनाम होने लगा 

काश एसा हो जवान जहाँ बेटी हो सब  

ईमानदार, समझदार, महान हो जाए 


बस, हवाईजहाज,ट्रेन में जब जवान बेटी

रात में बिना डरे सफर करे निडर हो कर घर सलामत आ सके 

तभी मेरे भारत की स्वच्छ छवि जीवित रहेगी।


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