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Ankit Bhatt

Abstract

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Ankit Bhatt

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कोरोना अब बस करो ना

कोरोना अब बस करो ना

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जहां भी देखा,

वहां तुमको है पाया

हर जुबां पर आज ,

तेरा ही नाम है छाया


इस कदर तुमने कहर है ढ़ाया

हर जीवन को तुमने बेजान बनाया,

हर घर को तुमने उजड़ा

हुआ मकान बनाया


जहां गूँजती थी कल

तक किलकारियाँ,

आज उन गलियों को

तुमने वीरान है बनाया

कोरोना इतना कहर 

क्यों है तुमने ढ़ाया ?


कोरोना अब तो बस करो ना,

अपने इस ढीठ पन का 

कुछ तो तुम इलाज करो ना

मिल गया तुमको बहुत महत्व कोरोना,

अब तो थोड़ा चुप करो ना,

अब तो थोड़ा रहम करो ना


देखो ना कोरोना

सबकी जुबां पर चढ़ कर

तुम इतराने लगे हो,

अस्पतालों में मरीजो की

भीड़ तुम लगाने लगे हो


पीठ पीछे छुपकर करते हो

तुम मानवता पर वार

हमारे ही मुहं पर लगवाया है

तुमने मास्क का पहरेदार


कोरोना इतना क्यों कहर ढ़ाते हो

अब तो तुम मान जाओ ना

सीधे मुहं तुम भाग जाओ ना,


बहुत हुआ तुम्हारा ये कहर कोरोना

अब तो अपनी गलती स्वीकार करो ना

अपने इस ढीठ पन का

कुछ तो तुम इलाज करो ना


हमारी बात को तुम,कान खोलकर सुनो ना

ऐसे न तुम मानवता का नरसंहार करो ना

अब तो थोड़ा रहम करो ना,

अब तो थोड़ा रहम करो ना।


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