sargam Bhatt
Horror Action Inspirational
वीरो की शहादत का
हिसाब मांगता है,
देश फिर से
सुभाष मांगता है।
घुसपैठियों का नकाब मांगता है,
सवालों का जवाब मांगता है,
वीर की एक वानी है,
जिंदगी गुमनामी है,
एक सच्चे देशभक्त की,
यह सच्ची कहानी है।
मतलब के रिश्त...
दहेज
शिक्षक दिवस प...
औरत की हिम्मत
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फटी जिंस
बेटी और बहू
बाबुल की गलिय...
खा लिया हैं चोट दिल ने बह रहे अब आंसू की धार। खा लिया हैं चोट दिल ने बह रहे अब आंसू की धार।
रात के सन्नाटे में छत पर पड़ी जो नज़र मेरी। रात के सन्नाटे में छत पर पड़ी जो नज़र मेरी।
सुकून भरी सहज कलकल है जीवन ही जल है। सुकून भरी सहज कलकल है जीवन ही जल है।
फिर मास्क लगाकर बाहर निकलते सब, इस तरह ही बच पाते हैं वायरस से ! फिर मास्क लगाकर बाहर निकलते सब, इस तरह ही बच पाते हैं वायरस से !
बीता काल कोरोना , करके सब वीरान भले चंगे गिरफ्त लिए , खूब बना शैतान। बीता काल कोरोना , करके सब वीरान भले चंगे गिरफ्त लिए , खूब बना शैतान।
दरख्तों के साए भी धूप लगती है, बिन पानी के भी प्यास बुझती है। दरख्तों के साए भी धूप लगती है, बिन पानी के भी प्यास बुझती है।
तू एक बार बिना सूर्य का सवेरा बनकर तो देख। तू एक बार बिना सूर्य का सवेरा बनकर तो देख।
एक दीये का प्रकाश पाकर जगमगाने लगते हैं और ले जाते हैं मंजिल की ओर बेधड़क, निर्भय। एक दीये का प्रकाश पाकर जगमगाने लगते हैं और ले जाते हैं मंजिल की ओर बेधड़क, निर...
कंकाल देखकर मैं जागा, रजाई से निकलकर मैं भागा।। कंकाल देखकर मैं जागा, रजाई से निकलकर मैं भागा।।
हमपे कर्ज है अपने वतन का यह , दो पल की जिंदगी।। हमपे कर्ज है अपने वतन का यह , दो पल की जिंदगी।।
शहर के उस पार उस सुनसान हवेली में नहीं जाता कोई पूर्णमासी रात में। शहर के उस पार उस सुनसान हवेली में नहीं जाता कोई पूर्णमासी रात में।
वो तब आया रूह बनकर जब मैं भी रूह बन गया।। वो तब आया रूह बनकर जब मैं भी रूह बन गया।।
यूँ तो दिखता सही सलामत हूँ पर ओ डरावनी बातें दिल को दहला गयी है। यूँ तो दिखता सही सलामत हूँ पर ओ डरावनी बातें दिल को दहला गयी है।
जो उनके खून- पसीने की कीमत से उपजाई गई है। जो उनके खून- पसीने की कीमत से उपजाई गई है।
हर मनुष्य को एक ना एक दिन मरना ही है। हर मनुष्य को एक ना एक दिन मरना ही है।
खुशी -खुशी से करो राम -राम, ना बने किसी से तो भी भेजना पैगाम। खुशी -खुशी से करो राम -राम, ना बने किसी से तो भी भेजना पैगाम।
इस लोकतांत्रिक देश में तमाशा बना दिया है जय अराजकतावाद। जय बेशर्मी। जय मक्कार। इस लोकतांत्रिक देश में तमाशा बना दिया है जय अराजकतावाद। जय बेशर्मी। जय मक्का...
हाथ पकड़ कर एक दूसरे का लंबी डोर जैसी हमारी पंक्ति। हाथ पकड़ कर एक दूसरे का लंबी डोर जैसी हमारी पंक्ति।
न समय पल पढ़ना, न समय पर गृहकार्य हो जाएगा सब किया धरा भी बेकार। न समय पल पढ़ना, न समय पर गृहकार्य हो जाएगा सब किया धरा भी बेकार।
जहाँ नित -प्रतिदिन हो रहे हैं विश्वास के रिश्तों का खून। जहाँ नित -प्रतिदिन हो रहे हैं विश्वास के रिश्तों का खून।