भेड़िए
भेड़िए
लिये पेंसिल इरेजर, कुछ पुरुष खड़े
अपने अपने नियम बनाते, मिटाते।
एक भद्र पुरुष ने ,नारी रूपी चिड़िया बनाई
चोंच पैर आंख सब खूबसूरत
बस पंख नहीं बनाए।
उड़ नहीं पायेगी ,तो कंही नहीं जाएगी।
घर गृहस्थी में पिस के रह जायेगी।
सज्जन दूसरे बहुत होशियार
सुंदर पर वाली चिड़िया बनाई
पिंजरा भी किया तैयार।
उड़ेगी मेरी मर्ज़ी से
मर्ज़ी से पिंजरे में आएगी।
बताओ पंख है, फिर भी कंहा जायेगी?
दुर्जन तीसरा इरेजर ले कर तैयार
यह पिंजरा मिटाऊंगा
ऊंची उड़ेगी आसमान में
कुलटा का तगमा मिलेगा उसको
मैं तो मौज मनाऊंगा।
पुरुष प्रधान इस समाज में
हर मोड़ पर भिन्न भिन्न रूप धरे
हाथ में पेंसिल इरेज़र लिए
भेड़िए खड़े है।