जन्महेतु
जन्महेतु
मेरा जन्म लोक कल्याण,
वसुन्धा के सिंचन और
साहित्य की उन्नति के लिए हुआ है
स्वयं के स्वार्थ की सिद्धि के लिए नहीं।
अध्ययन के कारण सेवक बनने के लिए
इस जन्म को नहीं पाया।
इसलिए ज्ञान रुपी वृक्षों में
फल और पुष्प को सजाने के लिए पाया हूं।