इंतज़ार या इज़हार अब मेरे ताल्लुक़ात में नहीं... इंतज़ार या इज़हार अब मेरे ताल्लुक़ात में नहीं...
खंगाली जा सकें जहां प्रेम की भाषाएं खंगाली जा सकें जहां प्रेम की भाषाएं
क्या नारी हो? क्या अब भी गुलामी में रहती हो? उबल जाओ, उफ़न जाओ! तप्त बन जाओ...!! क्या नारी हो? क्या अब भी गुलामी में रहती हो? उबल जाओ, उफ़न जाओ! तप्त बन जाओ.....
क्यों ना हम सीधे रास्ते चलकर शापित का मतलब ही भूल जाए क्यों ना हम सीधे रास्ते चलकर शापित का मतलब ही भूल जाए
पापित शापित सब जीवो को तूने ही पार उतारा है, पापित शापित सब जीवो को तूने ही पार उतारा है,
विनाश के लिए बढ़ो अमित्र से नहीं डरो समूल शत्रु नाश हो तभी सुशस्त्र को धरो। विनाश के लिए बढ़ो अमित्र से नहीं डरो समूल शत्रु नाश हो तभी सुशस्त्र को धरो।