मौन भाषा प्रेम की..
मौन भाषा प्रेम की..
कितनी शापित है वह भाषा
असमर्थ है जो
अनुवादित कर सकने में
ठहरे आंसुओं को,
नहीं होते उसके पास
कोई भी शब्द
दर्द की संवेदनाओं के लिए,
वह नहीं कर सकती साझा
अनबीतापन
बीतते हुए समय का,
और..
नहीं है उसके पास
कोई भी ऐसा शब्द कोष
खंगाली जा सकें जहां
प्रेम की भाषाएं !!
..और कितना सक्षम है
वह "प्रेम"
संभाले रखता है स्वयं में
सारी भाषाएं
अपने "मौन" की !!