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Praveen Gola

Tragedy

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Praveen Gola

Tragedy

गरीबी अभिशाप नहीं

गरीबी अभिशाप नहीं

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कितनी गरीबी है हमारे आस - पास ,क्या हमने कभी महसूस किया है ?

हजारों दिहाड़ी मजदूरों के घरों में झाँक ,उनके जलते हुए चुल्हे को कभी छुआ है ?

भूख और प्यास से परेशान उनकी जिंदगी,हर कदम पर पैसे से लाचार उनकी ज़िन्दगी ,जी तोड़ मेहनत के बाद भी वो कुछ नहीं पाते ,जो थोड़ा बच गया उससे अपना कर्ज चुकाते।

दूसरी ओर महंगी गाड़ियों में घूमते हैं बाबू ,गरीबी देखकर भी कैसे मुँह मोड़ते हैं बाबू ,क्यूँ नहीं उनका हृदय कभी पसीजता ?जब गरीब के खाली चुल्हे से आँगन भीगता।

गरीबी अभिशाप नहीं ये भेदभाव है इंसानो का ,जहाँ पैसे वाला दंभ से कुचलता हृदय लाचारों का ,गर थोड़ा-थोड़ा सब बाँट ले तो ना हो कोई गरीब ,तब सब दिलों के हो जायें बहुत - बहुत करीब।

गरीबी के दर्द को हम सबको समझना होगा,नई आशा के साथ इस लड़ाई से लड़ना होगा ,नित नए प्रयासों से हम गरीबी को दूर भगायेंगे ,थोड़ा सब अपने हिस्से का गरीब को देते जायेंगे।।



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