पछतावा
पछतावा
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पल पल बीत रहा
मेरा क्षण-क्षण बीत रहा
मेरा जीवन तिल-तिल घट रहा
मैं नित-नित मृत्यु के नजदीक जा रहा...
मैंने अपने देखे /
पराये देखे /
मरते देखे /
जलते देखे ।
अपना सर्वस्व लुटाकर
अब मैं पश्चाताप में जलता हूं
सोचा था-
कुछ बड़ा करूंगा
जीवन सफल बनाऊंगा
ज्ञानराशि संचित कर खूब लुटाऊंगा
कवि- लेखक बन मां भारती के गुण गाऊंगा
राष्ट्र के उत्थान में कुछ योगदान मैं भी दे जाऊंगा
पर मैं,
कुछ कर न सका, कुछ बन न सका
अब मेरा हृदय रोता है
मैं कहता हूं सबसे
मैं जो कर न सका
अब पछताता हूं -
तुम जो करना चाहो
ठीक समय पर कर लेना
अपना जीवन सफल बना लेना ।