कड़वी बात
कड़वी बात
जिस दिल में
मानवता नहीं,
वो दिल
पत्थर समान है !
ये सारा जहाँ
बस खाक है,
अगर यहाँ बसनेवाले
एक दूसरे को
समझते नहीं !
क्या फायदा
ऐसी दौलत-ओ-शोहरत से,
जिसके पीछे दौड़-भाग करते हुए लोग
अपनी यारी-दोस्ती,
घर-बार तक
भूल जाते हैं ...?
यहाँ गगनचुंबी ईमारतें तो हैं,
मगर इंसानियत की
बहुत कमी है !
लोग अपने
स्वार्थसिद्धि हेतु
क्या कुछ करते
नहीं थकते ...!!
कभी अपनी
औकात से बढ़कर
कामयाबी हासिल करना
चाहते हैं,
तो कभी अपनी
मंज़िल तय करने को
बेईमानी की
अंधकारमय पथ का
बिन सोचे-समझे
अनुसरण करते हैं...।
हमें इस जहाँ में
क्या चाहिए
सिवाय आस्था और प्रेम संदेश के ?
फिर क्यों लोग
गलत तरीके से
धन कमाने के लिए
अपना जीवनादर्श
व्यर्थता की बलिबेदी पर
चढ़ाने तक को
दुबारा नहीं सोचते...?