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Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

4  

Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

वीरान घर

वीरान घर

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वक्त के साथ हर लम्हा देखा है,

बदलते हुए हर दौर को देखा है।

कभी परिवार एक साथ देखा है,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


कभी छत्रछाया थी माँ बाप की,

भरा पूरा परिवार साथ देखा है।

वक्त के साथ खोया माँ बाप को,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


प्यार अपनापन था भाई भाई में,

एक दूजे पे प्यार लुटाते देखा है।

वक्त के साथ हुए अलग अलग,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


भाई भाई जो रहते थे एक साथ,

उन भाई को अलग होते देखा है।

वक्त की मार सबको पड़ती ऐसी,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


लुटाती बहनें प्यार दुलार भाई पे,

बाप की मार से बचाते देखा है।

कब हो गई वो दूर अपने घर से,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


जायदाद का नशा खराब होता है,

कितने को लड़ते झगड़ते देखा है।

हो जाते है अपनों से अपने अलग,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


बेटों को पढ़ा कर बनाया इंसान,

गर्व से सीना चौड़ा होते देखा है।

कब बहू को लेकर हो गए अलग,

आज वीरान अपना घर देखा है।।


बेटीयों की चहक से रौनक घर में,

उन्हें चिड़िया सी चहकती देखा है।

शादी करके दूर हो गई "हँसमुख"

आज वीरान अपना घर देखा है।।

              


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