इतराफ़
इतराफ़
मेरे घर के इतराफ़
एक भौंडी सी रात
मुँह चढ़ाए हुए बैठी है
मैं उसकी ज़ुल्फ़ें
सँवारने के लिए
जब सितारों के
नक़श बदलता हूँ
तो बन जाता है
एक उदास चेहरा
जो हिज्र की रात छत पर
तू ने मरने से पहले
उगाया था।
मेरे घर के इतराफ़
एक भौंडी सी रात
मुँह चढ़ाए हुए बैठी है
मैं उसकी ज़ुल्फ़ें
सँवारने के लिए
जब सितारों के
नक़श बदलता हूँ
तो बन जाता है
एक उदास चेहरा
जो हिज्र की रात छत पर
तू ने मरने से पहले
उगाया था।