मजदूर है मजबूर
मजदूर है मजबूर
पहले जी रही थी दुनिया शांति और अमन से
फिर दहल उठा पूरा विश्व चीन मे मौत के आगमन से।
तो मौत का जन्म स्थान था चीन का बुआन शहर
जिसने मचा दिया दुनिया मे कहर
न बूढों पर न बच्चो किसी पर नही करता महर।
मौत का नाम था कोरोना
जिसने मुश्किल कर दिया सोना
जिसने मनुष्य को पड़ सकता है मौत से हाथ धोना।
भारत मे आते ही मचा दिया कोहराम
सभी कर रहे थे त्रहिमाम - त्राहिमाम।
देखो जीवन का ये दस्तूर
सबसे ज्यादा मजबूर हमारा मजदूर।
जो कभी था भारत का निर्माता
आज वह घर जाता है छपते छपाता।
नीति तो देखो आपने देश के वासी
फिर भी कहलाये प्रवासी।
नमन है इस हौसले को पास नही है खाना
फिर भी है घर जाना
लोहा जिनका दुनिया ने है माना।