पांच वर्षो में पहुँची नहीं एक पाई कागज़ की एक चिट्ठी भी नहीं मिली मेरे भाई समाचार सुन के तेरा, रो... पांच वर्षो में पहुँची नहीं एक पाई कागज़ की एक चिट्ठी भी नहीं मिली मेरे भाई समा...
कहते हैं ये दुनिया वाले कर्म सदा महान है फिर तो किसान और श्रमिक कर से कर कर्म महान हैं। कहते हैं ये दुनिया वाले कर्म सदा महान है फिर तो किसान और श्रमिक कर से क...
मजदूर की व्यथा सुनाती कविता मजदूर की व्यथा सुनाती कविता
हे किसान! गांव छोड़ शहर में तुम क्या पाओगे? हे किसान! गांव छोड़ शहर में तुम क्या पाओगे?
नहीं तो बहने दो पसीना मेरा मजदूरी पर ना मेरी तुम घात लगाओ। नहीं तो बहने दो पसीना मेरा मजदूरी पर ना मेरी तुम घात लगाओ।
इन हाथों की कालिख़ नहीं इनकी मेहनत को देखो। इन हाथों की कालिख़ नहीं इनकी मेहनत को देखो।