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Sangeeta- A-Sheroes

Tragedy

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Sangeeta- A-Sheroes

Tragedy

श्रमिक

श्रमिक

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बादलों के बीच पेबंद सी झांक रही 

धूप ने श्रमिक से पूछा 

क्या आज तुझे थोड़ी राहत दे जाऊँ 


तेरे पसीने की बूँदों में

बारिश बन घुल जाऊँ 

श्रमिक बोला तुम चाहे

किसी रूप में आओ


धूप तेज हो हताश

धरती पर गिर जाऊँगा 

और शाम को मालिक से

आधी मजदूरी पाऊंगा 


गिरी जो तुम बारिश बन

काम फिर रुक जाएगा

मालिक आधी पोनी मजदूरी

देकर अपना पीछा छुड़ाएगा 


खाली पेट है मेरा हो सके तो

रोटी बना चांद सूरज को ले आओ 

नहीं तो बहने दो पसीना मेरा मजदूरी पर

ना मेरी तुम घात लगाओ।


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