sandeep sen
Inspirational
हाथ-पांव मारकर 'मजदूर' मजदूरी पाते चार
मुश्किल है जीना इसका इस पर करो विचार
मजदूर
एक्शन लो ना ग...
मानसिक बीमारी...
आशा और गरीबी
क्रोध
रक्षा हेतु का...
ज़िंदगी का अनमोल समय गँवा दोगे, जो रखोगे सिर्फ भाग्य पर भरोसा। ज़िंदगी का अनमोल समय गँवा दोगे, जो रखोगे सिर्फ भाग्य पर भरोसा।
नकारात्मक प्रवृतियों से सकारात्मकता का कराए भान नकारात्मक प्रवृतियों से सकारात्मकता का कराए भान
कभी निराशा तो कभी बेबसी कभी मायूसी तो कभी उदासी कभी निराशा तो कभी बेबसी कभी मायूसी तो कभी उदासी
तुम्हें पता है... मुझे औरत होने या कहे जाने से इंकार नहीं, तुम्हें पता है... मुझे औरत होने या कहे जाने से इंकार नहीं,
कभी खुशी कभी गम, यही तो है जीवन के रंग l जब हो जाता गम से अति व्याकुल मानव। कभी खुशी कभी गम, यही तो है जीवन के रंग l जब हो जाता गम से अति व्याकुल मानव।
देखा एक दारुण दृश्य कोने में अबला बैठी थी डरी हुई,सहमी सी बेहाल थी, परेशान थी। देखा एक दारुण दृश्य कोने में अबला बैठी थी डरी हुई,सहमी सी बेहाल थी, परे...
स्त्री पढ़ी तो जाना कि सदियों से छला गया है उसे। स्त्री पढ़ी तो जाना कि सदियों से छला गया है उसे।
आबाद रहे ये देश मेरा, हर हाल में ये खुशहाल रहे, जीवन का करम, देश सेवा धरम आबाद रहे ये देश मेरा, हर हाल में ये खुशहाल रहे, जीवन का करम, देश सेवा धरम
चुनकर काँटें राहों के हम, पग-पग फूल बिछायेंगे। वैर भावना दिखे जगत में,उसको आज मिटायेगा चुनकर काँटें राहों के हम, पग-पग फूल बिछायेंगे। वैर भावना दिखे जगत में,उसको आज...
क्या माई का लाल ही शूरवीर हो सकता है, क्या पापा की परियां शूरवीर नहीं हो सकती। क्या माई का लाल ही शूरवीर हो सकता है, क्या पापा की परियां शूरवीर नहीं हो सकती...
जो संतान को उचित-अनुचित के मध्य भेद करना सिखाती है, वो होती है माँ, जो संतान को उचित-अनुचित के मध्य भेद करना सिखाती है, वो होती है माँ,
प्रमुदित जन करते यशोगान भारत महान भारत महान। प्रमुदित जन करते यशोगान भारत महान भारत महान।
जिन्हें मुगलों ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया, फिर भी उन्होंने न झुकाया, सर मुगलों बीच जिन्हें मुगलों ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया, फिर भी उन्होंने न झुकाया, सर म...
हिंद की मिटा सके,जो सब कठिनाई वोट से,चुनो सही सरकारी बाप-माई. हिंद की मिटा सके,जो सब कठिनाई वोट से,चुनो सही सरकारी बाप-माई.
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है। कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।। हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है। कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।।
सत्यनिष्ठता से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम। बुद्धि, बल, विवेक को साधते मेहनती कदम। सत्यनिष्ठता से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम। बुद्धि, बल, विवेक को साधते मेहनत...
पर पुख्ता सबूत आज तक कभी नहीं सार्वजनिक हुआ। पर पुख्ता सबूत आज तक कभी नहीं सार्वजनिक हुआ।
बहन, भाई और दोस्तों के संग ताश खेलना चाहता हूँ मैं बहन, भाई और दोस्तों के संग ताश खेलना चाहता हूँ मैं
लड़खड़ाता रहा, थकता रहा पर ना रोया वो ना वो घबराया एक नई उम्मीद लेकर फिर मंज़िल की तलाश में भटकता ... लड़खड़ाता रहा, थकता रहा पर ना रोया वो ना वो घबराया एक नई उम्मीद लेकर फिर मंज़ि...
असफलताओं से सीख लो विश्वास रखो खुद पर कदम आगे बढ़ाओ, असफलताओं से सीख लो विश्वास रखो खुद पर कदम आगे बढ़ाओ,