क्रोध
क्रोध


क्रोध मद लोभ में
निष्फल होते लोग
मान मर्यादा भेंट चढ़ाए
विफल होते लोग।
तभी जाकर समझ में आए
नहीं तोड़ना ट्रैक
माया जगत में माया से बचकर
बन जाओ नेक।
लहू, हिंसा और खून खराबा
विक्राल करते नेट
शासन-प्रशासन मौन रहते
जोशीला चढ़ते भेंट।
नेता मंत्री हवा देता
करो अभी यह चैट
जब तक ना भड़के मानव
उपद्रव करो जनसेठ।
छोड़-छाड़ कर काम धंधा
लग जाते हैं लोग
टीवी चैनल अखबार के पन्ने
भर देते हैं क्रोध।
जनसैलाब जब उमड़ के पढ़ते
दम घुटने हैं तब लोग
सोच समझ में तब ना आता
क्या करते हैं जनलोक।
काम क्रोध मद लोभ में
निष्फल होते लोग
मान मर्यादा भेंट चढ़ाए
विफल होते लोग।