रक्षा हेतु कानून
रक्षा हेतु कानून


बदली नीति बदला मौसम बदली ये सरकार
माता-पिता के रक्षा हेतु कानून आए दरबार
बढ़ चले हम चांद चढ़े हम भूल गए संस्कार
बूढ़ा बूढ़ी कह पुकारे हम मात पिता को यार
दो वक्त की रोटी कपड़ा देने से करते इनकार
हम अभागे पुत्र क्या-2 सहा जो दर्द बेशुमार
कांधे बैठे झूला झुलाए दिखाए यह संसार
ज्ञानवान और धनवान बनाए हम सबको यार
छोड़ दिए अज्ञानी समझ कर बैठे पंख पसार
जिसके बल पर चले थे हम दौड़े थे हम यार
कितना दर्द सहा था वह सब उनसे पूछो यार
उनके बल बूते बन बैठे हैं आज हम सरदार
मेरा चिंता कौन करे अब बोलो बेटा हमार
हम है और किसके सहारे कह दो मेरे प्यार
बदली नीति बदला मौसम बदली ये सरकार
माता-पिता के रक्षा हेतु कानून आए दरबार