संघर्ष की महानता,
संघर्ष की महानता,
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जब संघर्ष करता है नर,
पर्वत के जाते पांव उखड़।
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते।
विघ्नों को गले लगाते हैं नर,
कांटों में राह बनाते हैं संघर्ष कर।
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
जो टिक सके नर के मग में।
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पांव उखड़।
फूल फूल पर संघर्ष कर,
मधुमक्खी रस लेती है।
