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Niraj Tripathi

Romance

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Niraj Tripathi

Romance

आँखें

आँखें

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न जाने क्यो तेरी

आँखें मुझे बेहाल करती है। 

मेरी आँखें कभी तरसती है

कभी बरसती है,

कभी न ए अराम करती हैं।। 

न जाने क्यो तेरी


आँखें मुझे बेहाल करती है 

कभी सोचो कभी विचारो 

मेरे आँखों के मंजर को

समुन्दर से भी गहरी है, 

तेरे आँखों का हर मंजर।


न जाने क्यों तेरी

आँखें मुझे बेहाल करती है। 

कैसे रोके कैसे टोके 

कैसे समझाए समझ कुछ न आता है। 


न जाने क्यों तेरी

आँखें मुझे बेहाल करती है। 

न जिने देती है न मरने को कहती है


हर पल बस तेरा इन्तजार करती हैं

न जाने क्यो तेरी

आँखें मुझे बेहाल करती है।


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