बेटी पैदा न करूंगी
बेटी पैदा न करूंगी
भले, सौ पाप हो जाएं,
पर ये खता, न करूंगी।
मैं बेटी हूँ, मगर बेटी,
कभी पैदा, न करूंगी।।
चढ़ाऊंगी न उसको
कभी दहेज़ की सूली।
मैं ईशा कटोच सी
लाडली की हत्या न देखूंगी।।
न बोऊंगी, उसकी आँख में,
आसमान, के सपने।
न बोलूंगी, चलो बाहर,
सभी तेरे यहां, अपने।
कभी निर्भया, कभी गुड़िया,
तो कभी मनीषा न करूंगी।
मैं बेटी हूँ, मगर बेटी
कभी पैदा न करूंगी।।
मेरी बेटी, तेरे उम्मीद के
मैं पर, गिराती हूँ,
तेरे खिलने से पहले ही,
तेरा मैं कल, मिटाती हूँ।
यहां, क्या हो रहा,
तुझको, बता नहीं सकती।
मेरी लाडो, तेरी मैं आबरू
बचा नहीं सकती।।
भले सौ पाप हो जाएं
पर ये, खता न करूंगी।
मैं बेटी हूँ, मगर बेटी,
कभी पैदा न करूंगी।।
तेरे आने से पहले ही
ये गुनाह, मैं करूंगी।
मैं खालूंगी ज़हर, तुमको
मगर पैदा, न करूंगी।
मैं बेटी हूँ, मगर बेटी
कभी पैदा, न करूंगी।।