अन्याय चारो तरफ बढ रहा पता नहीं कोन उसे मिटाएगा! अन्याय चारो तरफ बढ रहा पता नहीं कोन उसे मिटाएगा!
मज़हब और जात-पात में उलझने वालों अब सुधर भी जाओ हिंदुस्तान के लोगों मज़हब और जात-पात में उलझने वालों अब सुधर भी जाओ हिंदुस्तान के लोगों
मेरी लाडो, तेरी मैं आबरू बचा नहीं सकती।। मेरी लाडो, तेरी मैं आबरू बचा नहीं सकती।।