निर्भया-हाथरस
निर्भया-हाथरस


हाथरस में जो कुछ हुआ बहुत बुरा हुआ
एक बेटी का बड़ा ही घोर अपमान हुआ
ये धरती भी न फटी, ये अंबर भी न फटा,
कैसा ये मां भारती का तिरस्कार हुआ?
जलते हुए दीप ने अंधेरे का दिया धुआँ
राम, कृष्ण के इस देश मे बलात्कार हुआ
वो आईने भी टूट गये है, बने जो पत्थर है
कैसा ये दर्दनाक हादसा भारत में हुआ?
पूरे भारत देश की आंखें ही पथराई है,
अब इन आंसुओं में न बची करुणाई है,
फिर भी उसको को न मिली कोई दुआ
कैसा ये बना अपराधियों का अंधा कुआँ
मज़हब और जात-पात में उलझने वालों
अब सुधर भी जाओ हिंदुस्तान के लोगों
वो किसी मज़हब, जाति के बेटी नहीं थी
वो निर्भया तो पूरे हिंदुस्तान की बेटी थी
बार-बार के हादसे देख मन डरने लगा है
भरी बारिश में वो दहाड़ मार रोने लगा है
कैसे हज़ारों रावण का यहां जन्म हुआ?
मिल न रही बेटी को सुरक्षा की कोई गुहा
ऐसा देखकर आजकल में तो सोचता हूँ,
बेटी को मोबाइल की जगह रिवाल्वर दूँ
कैसे, जैसे को वो वैसा, तैसा जवाब दे?
अपनी बेटी को में ये अनमोल तोहफा दूँ
आम आवाज सुनो सरकार हिंदुस्तान की
दोषियों को पकड़ सजा दो उन्हें फांसी की
अब कैंडल को तोड़ो, व्हाट्सप को छोड़ो
बलात्कारियों को जहाँ दिखे वहां फोड़ो
ये भारत महिषासुर को मारना जानता है
बलात्कारियों को जिंदा गाड़ना जानता है
कानून में कुछ बदलाव लाओ हिंदवासी
बलात्कारियों को हो ताकि सरेआम फांसी
न कोई पैरवी, बन जाओ सब भैरवी
सब ऐसे दुष्टों को दिल से दो बद्दुआ
खुदा भी दे ताकि इन्हें जहन्नुम-कुआँ
और फिर बने भारत जन्नत की दुआ