अहिंसा के महापुजारी
अहिंसा के महापुजारी


अहिंसा के महा पुजारी तुम,
स्वतंत्रता के अग्रदूत तुम,
हे सत्यवृतधारी, हे महावृतधारी,
सन्मति के आविष्कारक तुम।।
जुड़ शब्द शब्द जो पीर गए,
इस माला के आधार हो तुम,
हर शब्द बन जो बह गए,
इन भावों के आधार हो तुम,
हे कष्टहारी, हे दीन हितकारी,
युग क्रांति के नायक तुम।।
अहिंसा.............
पराधीनता थी कष्टमयी,
सन्मति थी कही सोई हुई,
उठा अहिंसा का अस्त्र शस्त्र,
चेतना जगाई तुमने खोई हुई,
तोड़ पराधीनता के बंधन,
किया तुमने भारतीयों का आत्ममंथन,
हे राष्टपिता, हे मोहनदास
किया तुमने ये मह
ाकाज।।
अहिंसा..............
तुम्हारे शब्द बाण, तुम्हारे विचार,
दे गए शक्ति अपरम्पार,
हे स्वतंत्रता के अग्रदूत,
प्रणाम तुम्हें बारम्बार,
भारत माँ के तुम सपूत,
मिटाये तुमने सब भवकूप,
हे धर्मवीर, हे कर्मवीर,
जगाओ पुनः मानवता सोई।
अहिंसा......….
हे महानायक, हे राष्टपिता,
दे दो करुणा का कुछ अंश हमे,
जगाओ पुनः भाव संवेदना,
दे दो सन्मति का आशीष हमें,
मिटा दो तुम ये भेदभाव,
जग दो राष्टधर्म का भाव,
हे अग्रदूत,हे महादूत,
फैला दो पुनः राष्ट्रभाव।
अहिंसा.......…..