को, तुम, मन और तन से, गुलामी से मुक्त हो जाओ। को, तुम, मन और तन से, गुलामी से मुक्त हो जाओ।
उठा अहिंसा का अस्त्र शस्त्र, चेतना जगाई तुमने खोई हुई, उठा अहिंसा का अस्त्र शस्त्र, चेतना जगाई तुमने खोई हुई,
उन गुज़रे पलों की बंदियों में बंधे हरेक असहाय शिक्षार्थी का दिल आज भी अफसोस करता होगा. उन गुज़रे पलों की बंदियों में बंधे हरेक असहाय शिक्षार्थी का दिल आज भी अफसोस क...