STORYMIRROR

Uma Shukla

Romance

4  

Uma Shukla

Romance

पत्र

पत्र

1 min
246

पत्र जो लिखा मगर

भेजा नही तुम्हें कभी।

पुरानी डायरी में

सहेजा हुआ मिला अभी।


पत्र के साथ ही यादों

की पिटारी खुल गई।

मीठे अहसासों की महक

फ़िजा में घुल गई।


अनकहे अहसासों को

शब्दों में पिरोया था जतन से।

आज भी कहाँ मिटा पाई

उन अहसासों को मन से।


पत्र के साथ जी रही हूँ

उन क्षणों को आज फिर।

बता नहीं सकती तुम्हें इसलिए

रख रही हूँ सहेज कर ये राज फिर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance