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Dr. Anurag Pandey

Inspirational

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Dr. Anurag Pandey

Inspirational

प्रेम

प्रेम

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प्रेम के परिभाष्य में,

जो भी लिखा संक्षिप्त है।

जड़-चेतन,सृष्टि का कण-कण,

प्रेम में ही संलिप्त है।


माँ की संतति के प्रति व्यग्रता,

प्रेम का अतुलित रूप है।

सकल सम्बन्धो के मध्य नेह,

अन्य कुछ नही प्रेम का स्वरूप है।


कौमुदी-मयंक,रश्मि-दिनकर,

मेघ-वृष्टि प्रेम में ही संबद्ध हैं।

जल बूँद स्वाति नक्षत्र की चातक संग

अर्पण शलभ का दीप्ति पर प्रेम से समृद्ध है।


प्रतिबद्धता राष्ट्र,धर्म,आराध्य के प्रति,

प्रेम के ही विभिन्न प्रकार हैं।

प्रेम त्याग,दया,क्षमा,जीवोपकार ,

ममत्व युक्त अखिल ब्रह्माण्ड में निर्विकार है।


आसक्ति प्रेम की 'अनुराग'

प्रेम की सबसे बड़ी शक्ति है।

 प्रेम ही राधा,सूर,मीरा,तुलसी रसखान,

की अभीष्ट के प्रति अभिव्यक्ति है।


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