STORYMIRROR

Dr. Anurag Pandey

Abstract

4.4  

Dr. Anurag Pandey

Abstract

बाधाएं

बाधाएं

1 min
431


पथ दुर्गम और शूल बिछे हों

ये समय भी आता जीवन में

सब खत्म हुआ कुछ शेष नही

ये भाव भी आता अंतर्मन में


बाधाएं रिपु कब हुईं मित्र

जीवन का सार बताती हैं

दृढ़ता से निपटा जो इनसे

इक सच्चा मनुज बनाती हैं


है कौन सगा और हितकारी

मुश्किलें हमें बतलाती हैं

धीरज और आत्मबल से ही

विषमताएं सरल हो जाती हैं


आशा मन की जीवंत रहे तो

हर काज सफल हो जाते हैं

माना जीवन के प्रश्न दुरूह

अनुराग ये भी हल हो जाते हैं

पथ दुर्गम और शूल……….!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract