बाधाएं
बाधाएं
पथ दुर्गम और शूल बिछे हों
ये समय भी आता जीवन में
सब खत्म हुआ कुछ शेष नही
ये भाव भी आता अंतर्मन में
बाधाएं रिपु कब हुईं मित्र
जीवन का सार बताती हैं
दृढ़ता से निपटा जो इनसे
इक सच्चा मनुज बनाती हैं
है कौन सगा और हितकारी
मुश्किलें हमें बतलाती हैं
धीरज और आत्मबल से ही
विषमताएं सरल हो जाती हैं
आशा मन की जीवंत रहे तो
हर काज सफल हो जाते हैं
माना जीवन के प्रश्न दुरूह
अनुराग ये भी हल हो जाते हैं
पथ दुर्गम और शूल……….!