STORYMIRROR

Chandni Purohit

Abstract Inspirational

4  

Chandni Purohit

Abstract Inspirational

मिलना उसका

मिलना उसका

1 min
601


क्यूँ ढूंढ रहा दिल बीते पल क्या वक़्त कहीं ठहरा सा है 

तू यहाँ भी है तू वहाँ भी था दृष्टि पटल यही कह रहा है 


अभ्यास ना कर सुनने सब की न तू अपनी बताने आया है 

जो छिन्न गया था उस पल तुमसे वो वक़्त लौटाने आया है


मुश्किल पड़ी हो चाहे कितनी हज़ार डटे मैदान में रहना है

अंतरात्मा भी झकझोर दें अपनी उफ्फ न तुमको कहना है 


वही व्यक्तित्व सरल स्वभाव तार्किकता का गुण भी मौजूद है 

शास्त्र क्षेत्रीयता अलौकिक तेज़ प्रतापी चेहरे पर उसके नूर है 


वही है ये जो आत्मा से मिलते ही अपनापन झलकाता है 

न दूर पुनः होना तुम प्रियवर तेरे बिन न मुझे कुछ भाता है 


क्यूँ रोम रोम पुकारे तुझको लगे जन्मो से तुमसे मेरा नाता है 

इतने बड़े जग में भला बेवजह कौन किसी से यूँ टकराता है 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract