मेरी टीचर
मेरी टीचर
जब बच्चे थे वह तब भी मेरे पास थी
जब बड़े हुए तब भी वह मेरे साथ थी
कभी डांटती तो कभी खूब हंसाती थी
कभी बनकर दोस्त की तरह वह हम पर जान भी लुटाती थी
कभी अपने बच्चों की तरह वह हमें भी संभालती थी
कभी चोट लगने पर मां की तरह ही वह घबरा जाती थी
मां-बाप की तरह ही हमें वह कितने समय हंसते-हंसते सह जाती थी
हमसे दूर जाकर उसकी आंखें भी तो नम हो जाती थी
हर कक्षा में हमें जो खूब पढ़ाती थी
सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं हमें जिंदगी का ज्ञान भी समझाती थी
पेरेंट्स टीचर मीटिंग में जो अच्छी बुरी बातें दोनों बताती थी
कभी दुख में जो हमें अपने पास से चॉकलेट भी दी जाती थी
स्कूल की सच्ची पहचान उसी से ही तो हो पाती थी
वह और कोई नहीं
मेरी प्यारी टीचर थी।।
वह और कोई नहीं
मेरी प्यारी टीचर थी ।।