कभी तरस नहीं आता था जब कोई गृह कार्य नहीं बनाता था कभी तरस नहीं आता था जब कोई गृह कार्य नहीं बनाता था
इसे प्यार कहते हैं यह भी नहीं समझता था। इसे प्यार कहते हैं यह भी नहीं समझता था।
लो चली मैं अपने स्कूल खेल रही हूँ कब्बडी चटा रही हूँ दुश्मनों को धूल लो चली मैं अपने स्कूल खेल रही हूँ कब्बडी चटा रही हूँ दुश्मनों को धूल
तुम्हारी शादी के उस सजीले कार्ड के नीचे। तुम्हारी शादी के उस सजीले कार्ड के नीचे।
अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो उसकी हँसी और निखरती जाती है। अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो उसकी हँसी और निखरती जाती है।
वो ही सपने मेरे उन अच्छे दिनों को समेट गए एक और बार ही तो मैं होम वर्क करना भूल गया, बस एक और बार ... वो ही सपने मेरे उन अच्छे दिनों को समेट गए एक और बार ही तो मैं होम वर्क करना भूल...