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Shipra Verma

Classics

4.5  

Shipra Verma

Classics

खुशमिजाज़ दोस्त

खुशमिजाज़ दोस्त

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जब मैं स्कूल में पढ़ती थी

'वो' मेरे ही बेंच पर बैठती थी

हरदम चहकती रहती थी

"हँसो यार" मुझे वो कहती थी


जब टीचर कुछ बोर्ड पे लिखती थी

मैं उसकी कॉपी से देखती थी

क्योंकि जल्दी ही मिटा देती थी *मिस*

मेरी उंगलियां लिख भी नहीं पाती थी


बड़ा लाड़ वो मुझ पर थी दिखाती

पूरी कक्षा के समक्ष वो थी जताती

"देखो मेरी दोस्त है सबसे अच्छी

तुम सब झूठी हो, ये है बिल्कुल सच्ची


वर्षो गुज़र गए अब तो वह सब

यादें बन कर आती है

अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो

उसकी हँसी और निखरती जाती है।


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