आज मेरी कलम भी, गयी रोकर हार। देख कर अमानवीय, भीषण नरसंहार। आज मेरी कलम भी, गयी रोकर हार। देख कर अमानवीय, भीषण नरसंहार।
निराकार हो, ॐ की पुकार हो, ब्रह्माण्ड का आधार हो। निराकार हो, ॐ की पुकार हो, ब्रह्माण्ड का आधार हो।
अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो उसकी हँसी और निखरती जाती है। अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो उसकी हँसी और निखरती जाती है।
बौनी उड़ान देखकर मैंने भी आसमां में उड़ने का ख्वाब सजाया है। बौनी उड़ान देखकर मैंने भी आसमां में उड़ने का ख्वाब सजाया है।
ये माता की नहीं पिता की बेटियाँ होती हैं। ये माता की नहीं पिता की बेटियाँ होती हैं।
चाहे समाप्त सब कुछ हो चलो चलते हैं। चाहे समाप्त सब कुछ हो चलो चलते हैं।