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anita rashmi

Drama

4  

anita rashmi

Drama

पिता

पिता

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पिता के खुरदुरे रौबीले चेहरे के पीछे 

छिपा है एक कोमल चेहरा

जिसे सिर्फ बेटियाँ ही 

पहचान पाती हैं 


पिता बेटियों के लिए हैं, 

होते हैं ऐसे आदर्श 

जो बेटियों का 

रूप गढ़ते हैं 

उनके हाथ के झूले में झूल 

पा जातीं वे सारी दुनिया 


विदाई के अश्रु वे नहीं बहाते कभी 

घोंघे के कठोर खोल के अंदर 

दबा रह जाता उनका मन 

लेकिन सबसे अधिक बेटी की 

आड़ी-तिरछी चपाती 

नमकहीन दाल

अधपकी सब्जी 

जले साग को 

वे ही याद करते हैं 


पापा की प्यारी, पापा की दुलारी 

कुछ माँ से ज्यादा उनमें ढलती हैं 

माँ की सीख पोटली में 

पिता का दुलार दिल में रखतीं हैं 

ये माता की नहीं 

पिता की बेटियाँ होती हैं


पिता के मौन से जगतीं

पिता के मौन में सोती हैं

फिर भी कहाँ खुलते हैं 

पिता अपने बेटे-बेटियों के समक्ष

मौन में घुला उनका गीला मन 

न देख ले कोई इसी कोशिश में 

वे हरदम हर पल रहते हैं 


ऊपर से खुरदुरे, गुस्सैल, रौबीले 

भीतर से कंपित मुलायम 

सब पिता ऐसे ही होते हैं। 


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