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शो मस्ट गो ऑन

शो मस्ट गो ऑन

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एक दिन नदी ने सोचा क्यों ना

मैं लिखू अपनी आत्मकथा

वैसे ही सबको पता चलना

चाहिए क्या हे मेरी व्यथा।

दिखती हूँ मैं बहती सुन्दर

मेरे दर्द की किसीको नहीं खबर।


कहाँ से वो प्रदूषित पानी छोड़ देते है मुझमें

और मुझको मुझसे अनजान बना देते हैं।

और लोग कहते हैं

नदी का पानी अच्छा नहीं है

ज़हर है ज़हर पीने के लायक नहीं है।


पर वो लोग ये भूल गए

की एक वक़्त था जब वो मेरा

पानी अमृत जमकर पी गए।

अपने उनती लिए मुझे भी भूल गए

बस बहती हूँ न कोई आता है

पहली की तरह आज।


ना कोई पूछता हे मेरे दिल का हाल

बस बहते रहना मेरा काम है।

चाये कोई पूछे या न पूछे

क्योकि" शो मस्ट गो ऑन"।


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