चाहत
चाहत
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सुनहरी धूप
रूपहली चाँदनी
हवाओं का
मंद मंद स्पंदन
फूलों की दहकती क्यारियाँ,
बादलों की नीली किलकारियाँ
खेतों में सरसों का फूलना
साँसों में चंदन का घुलना,
मौसम का जग पड़ा राग
धरती ने पा लिया सुहाग,
कलियों ने चटकना सीखा
प्रकृति ने सुरमई
गीत लिखा,
हवाओं में
घुल गई रंगीनियाँ,
उत्सवों की हँसी ने
लो फिर संगीत लिखा।
ये सब के सब
हमारे लिए ही तो हैं,
हाँ, ये खूबसूरत रातें
ये प्यारे-प्यारे दिन।
जी तो चाहता है
रख लें सहेज इन्हें
अपने नन्हें से आँचल में
लें, कचनार से बीन।