वीरों को नमन
वीरों को नमन
भूल के आज,
पक्ष विपक्ष।
जुट के होजाये,
उनके समक्ष।
दिया जिन्होंने मातृभूमि,
को ललकार।
हो ऐसा अबकी वार,
दे उनकी जड़ें उखाड़।
जली जो ज्वाला भीतर,
है वो पुनः दहाड़ती।
दो मिटा अस्तित्व,
कहता हर भारती।
बुझे अब न वो,
सुलगायी जो चिंगारी।
है शत्रुता की अब
हमारी बारी।
वार नहीं हो अब,
हो ऐसा कोहराम।
मिटे मानचित्र से क्या,
इतिहास से भी नाम।
जाने कितने आँगन,
हुए आज वीरान।
खुशहाल माटी बनी,
बंजर सुनसान।
आज मेरी कलम भी,
गयी रोकर हार।
देख कर अमानवीय,
भीषण नरसंहार।।
