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Kanchan Prabha

Children Stories

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Kanchan Prabha

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आ बैल मुझे मार

आ बैल मुझे मार

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मैं जब चौथी मे पढ़ती थी

मेरी टीचर एक ऐसी थी

अगर कभी जो बात ना माने

पाठ कोई याद ना करके लावे

तो फिर ऐसा होता था

सब दोस्त फिर कहने लगते थे

ये क्या तुमने काम किया है

आ बैल मुझे मार को न्यौता दिया है

फिर जो पड़ती थी मार उसको

भुली नही हूँ आज भी जिसको

कभी तरस नहीं आता था

जब कोई गृह कार्य नहीं बनाता था

लगते थे फिर छड़ी दना-दन

हिल जाता था सबका तन मन

वैसे दिन अब आज कहाँ है

शिक्षक से डरना खत्म यहाँ है

दोस्त दोस्त है शिक्षक छात्र

करते दोनो मित्रवत बात



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