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एक और बार

एक और बार

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वो एक और बार ही था, कब आखिरी बार हो गया

पता नहीं चला कि कब, वो बीती बात हो गया

घंटी बजी थी फिर एक रोज़

कंधे पर बस्ते का बोझ

आंखों में थे मीठे सपने,

कहाँ गयी बचपन की मौज

बिस्तर से चिपके रहने की इच्छा हमें लजाती थी,

फ़ोन के बदले मां गा गाकर स्वयं हमे जगाती थी,

स्कूल न जाने की ज़िद से हमने उसे सताया है,

आज ज़िद पूरी करके देखो हमने कुछ ना पाया है

टाई बेल्ट हाथ में लेकर रिक्शा में हम बैठ गए,

उतरे भागे गिरे फिसलते हम स्कूल के गेट गए,

जिन सपनों के लालच में मुझे बड़े होने की जल्दी थी,

के बदले मां गा गाकर स्वयं हमे जगाती थीवो ही सपने मेरे उन अच्छे दिनों को समेट

गएक और बार ही तो मैं होम वर्क करना भूल गया

बस एक और बार ही तो दोस्त ने मेरा काम किया

जल्दी लिख कर आधा अधूरा ही कॉपी

जमा कर आये हम कल से पूरा कर आएँगे,

टीचर को कह आये हम एक और बार

बोतल भरने हम क्लास से निकले

उसे देख बायो लैब के, बाहर फिर हम फिसले

बस एक बार और जाने दो

उन बरामदों में हमको जहाँ

वो कहती थी हमसे, "चॉकलेट या तू खुद लिख ले

बस एक और बार ही तो,

घंटी बजी और हम भागे,

खाली क्लास होती लड़ाई,

कागज़ के जहाज़ बना के

एक और बार ही तो हुई वो धक्का मुक्की हम सब में,

अब दिल मत तोड़ो तुम मेरा उसे आखिरी बार बता के।।",,,,





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